Friday, May 17, 2024
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जानिए कैसी रही मोहित सूरी की फ़िल्म एक विलेन रिटर्स बड़े पर्दे पर

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जानिए कैसी रही मोहित सूरी की फ़िल्म एक विलेन रिटर्स बड़े पर्दे पर

मोहित सूरी एक भारतीय डायरेक्टर है, जिनकी कुछ फ़िल्मे जैसे कि एक विलियन, मलंग, मर्डर 2 और आशिकी 2 बहुत हिट हुई थी। वहीं उनकी कुछ फ़िल्म जैसे हमारी अधूरी कहानी, हाल्फगर्लफ्रेंड को दर्शकों से उतना प्यार नहीं मिला जितने की उम्मीद थी। आज कल बॉलीवुड वैसे भी अच्छी फ़िल्मों का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, कोविड के बाद कई फ़िल्में अब फ्लॉप दिखती नज़र आ रही है।

जानिए कैसी रही मोहित सूरी की फ़िल्म एक विलेन रिटर्स बड़े पर्दे पर

जहां एक तरफ़ शमशेरा बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होती नज़र आ रही है तो वहीं अब ऐसा लग रहा है कि हाल ही में रिलीज हुई एक विलेन की कड़ी एक विलेन रिटर्न्स भी अब उसमें शामिल होने जा रही है। क्योंकि देखने वालों को ऐसा लग रहा है कि इस फ़िल्म को सिर्फ़ पहली फ़िल्म की थीम का फायदा उठाने के लिए बनया गया है। जिसमें जॉन अब्राहिम, अर्जुन कपूर, तारा सुतारिया, दिशा पाटनी ये सभी अच्छे दिखने वाले एक्टर्स है, जिनकी एक्टिंग को फ़िल्म के हिसाब से पसंद किया जाता है।

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क्योंकि इन्होंने कुछ फ़िल्में अच्छी दी है तो वहीं कुछ में ये पीछे भी रहे है। पर मोहित सूरी ने इनको शायद इसलिए चुना क्योंकि वह इनके अच्छे लुक्स से युवाओं को अपनी ओर खीच सकते है। जिसमें उन्होंने म्यूजिक कॉन्सर्ट, बाइक स्टंट्स जैसे सीन्स को भी रखा है, जिससे उनकी फ़िल्म की मैन कहानी की ओर लोगों की नज़र ना जाए। पर बता दें कि ये उनका असफल प्रयास रहा है। अब अगर फ़िल्म की कहानी की बात की जाए तो फ़िल्म एक सीरियल किलर के ऊपर है जिसमें जॉन टैक्सी चलाते है और दिशा को बेहद चाहते है पर दिशा सीरियस लड़की नहीं होती है।

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वहीं अर्जुन अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, जो बार एक ही डायलॉग बोलते हैं मरना मंजूर है हारना नहीं। वहीं तारा एक गायिका के रूप में दिखाई गई है और वे और ऊपर जाना चाहती है जिसमें अर्जुन उनकी मदद करते है। इनकी कड़ी को फिर सीरियल किलर से जोड़ देते है जिनके पीछे पुलिस लगी है। फ़िल्म बहुत भटकी-सी नज़र आ रही है जहां किरदार अपने रोल में है ही नहीं अर्जुन कुछ देर बाद बिगड़ी ओलाद जैसे नहीं लग रहे, विलेन शब्द बार-बार प्रयोग कर उसका उद्देश दिखाते वह भी बहुत सीरियस कुछ नहीं लगता है।

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लोग आजकल एडिटिंग पर भी बहुत ध्यान देते है, वह भी कुछ ख़ास नज़र नहीं आ रही है। फ़िल्म 2 घंटे की होने के बाद भी लंबी नज़र आ रही है। एक्टिंग की बात अगर करें तो जॉन के ज़्यादा डायलॉग्स नहीं थे वहीं अर्जुन ने ज़्यादा कोशिश की है। वहीं दोनों अभिनेत्रियों ने भी कोई अलग छवि अपनी नहीं बना पाई है। फ़िल्म के अंत में तीसरे पार्ट आने की संभावनाएं नज़र आ रही है। पर ऐसा तभी सफल होगा जब फ़िल्ममेकर्स के पास अच्छी कहानी हो क्योंकि अब ऑडियंस को बनाए रखना अपने आप एक बहुत बड़ा चैलेंज बन चुका है। क्योंकि जितना आकर्षण अब बड़ गया है लोगों की समझ भी उतनी बड़ गई है। वे अब चीज़ों को सोच समझकर महत्त्व देते हैं।

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