Thursday, November 14, 2024
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“हम दो हमारे बारह” क्या सिनेमाघरों तक पहुंच पाएगी ये फ़िल्म?

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“हम दो हमारे बारह” क्या सिनेमाघरों तक पहुंच पाएगी ये फ़िल्म? 1

हम दो हमारे दो ये वाक्य तो हो सकता है आपने पहले कभी सुना या पड़ा हो क्योंकि ये सरकार द्वारा निकाली गई कोई पॉलिसी का स्टेटमेंट है। पर अब सुनने में आ रहा है कि एक फ़िल्म आ रही है जिसका नाम है हम दो हमारे बारह जी हां इसी नाम की फ़िल्म अब हमारे बीच आने वाली है।

आइए विस्तार से जानते है क्यों आख़िर ये इतनी चर्चा में है।

बता दें कि हम दो हमारे दो फ़िल्म का पोस्टर हाल ही में रिलीज़ हुआ है, जिसके सामने आते ही लोगों के बीच में बवाल मच चुका है। आख़िर ऐसा क्या है इस फ़िल्म में, तो खबरों की माने तो और पोस्टर को देखे तो इसमें अन्नू कपूर लीड रोल में दिखाई दिए जाने वाले है, जिसके पोस्टर में वे बीच में बैठे है और उनके आस पास कई सारे बच्चे बैठे हुए है, साथ ही उनके साइड में एक-एक महिला भी खड़ी है जो की प्रेगनेंट है और एक वकील भी पोस्टर में दिखाया गया है। पर इस फ़िल्म पर काफ़ी बवाल लोगों के बीच दिखाई दे रहा है।

“हम दो हमारे बारह” क्या सिनेमाघरों तक पहुंच पाएगी ये फ़िल्म? 2

जिसका कारण है कि इन्होंने एक व्यक्तिगत धर्म के लोगों को टारगेट किया हुआ है पोस्टर को देखा जाए तो उसमें मुस्लिम समुदाय को दर्शाते हुए उनकी वेशभूषा को अपनाया हुआ है। जिसे देख लोग आग बबूला हो रहे है, जो कि एक विशेष धर्म की छवि को ख़राब कर रहा है। लोगों का मानना तो ये भी है कि इस फ़िल्म को मुस्लिम धर्म को बदनाम करने के लिए बनाया गया है। आज कल लोग ट्विटर पर ही लोगों को ट्रॉल करना शुरू कर देते है, उन्हें कुछ कहने या सुनने के लिए आमने सामने ज़रूरी नहीं है, तो ऐसे ही पत्रकार राणा अयूब ने अपने अकाउंट पर लिखा कि सेंसर बोर्ड कैसे इस तरह की फ़िल्मों को अनुमति दे देता है, जो मुसलमानों को इस तरह से दर्शाती है और साथ ही ये पोस्टर पूरा इस्लाम्फोबिक है। जिस पर फ़िल्म निर्माता कमल चंद्र ने कहा है कि हमारी फ़िल्म का पोस्टर बिलकुल भी आपत्तिजनक नहीं है, बस उसे सही नज़रिए से देखने की ज़रूरत है।’

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हम किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते और न ही हमने किसी को टारगेट किया है। जब आप फ़िल्म को देखेंगे तो आप ख़ुद भी इस चीज़ को समझेंगे की बिना किसी की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाते हुए भी, संवेदनशील फ़िल्म बनाई जा सकती है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम ने इस फ़िल्म के जरिए समाज के सबसे ज़रूरी मुद्दे को उजागर करने की कोशिश की है, बढ़ती आबादी एक बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है, हमारी फ़िल्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं है एक ज़रूरी मुद्दे पर है, हमें नहीं पता लोग इसका विरोध क्यों कर रहे है फ़िल्म में एक मुस्लिम परिवार लिया गया है पर इसका मकसद किसी को दुखी करना नहीं है। विरोधियों को फ़िल्म बनने तक का इंतज़ार करना होगा जिससे एक बदलाव आ सके।

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वहीं फ़िल्म की चर्चा चलते अन्नू कपूर ने भी अपना बयान दिया और अपनी विचारधारा को रखा उन्होंने कहा की किताब के कवर को देखकर उसकी कहानी तय मत कीजिए। पहली पूरी फ़िल्म को देखिए और ये समझने की कोशिश कीजिए कि कौन से बात क्यों कही गई है। फिर उस पर अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे फ़िल्म का मकसद आपको और अच्छे से साफ़ पता चल पाए।

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