विजय देवरकोंडा वैसे तो साउथ के सुपरहीरो माने जाते हैं। पर अब वे बॉलीवुड की फ़िल्म लाइगर में आ चुके है। जिससे उनकी सफलता पर बड़े सितारे लग चुके हैं। जिस सितारे की चमक लोगों को अच्छी लगनी चाहिए, वे चमक पर लोग अब प्रशन उठा रहे हैं। दरअसल, किसी को उनका बदलता व्यवहार पसंद नहीं आ रहा और सभी यही कह रहें हैं कि अब उनकी बातों में वह अपनत्व नहीं रहा। वे और उनकी फ़िल्म की लीड एक्ट्रेस अनन्या पांडे देश के कई राज्यों में अपनी फ़िल्म प्रमोशन के लिए गए थे जहां उन्होंने यूपी, बिहार राजस्थान, दिल्ली और गुजरात आदि को कवर किया था।
जहां मीडिया से बात करते वक़्त उन्होंने कुछ ऐसी बातों को बोला था जिसे सुनकर उनके फैंस को अच्छा नहीं लग रहा है और सभी बोल रहे हैं कि वे अब बदल गए हैं और सफलता के साथ उनका घमंड बड़ गया है, जिसकी तुलना अब इंडस्ट्री के करण जोहर से की जा रही है। बॉयकॉट फ़िल्म के चलते उनसे भी सम्बंधित प्रशन पूछा गया तो उस पर उन्होंने सादा जवाब न देते हुए अहंकार भरा जवाब दिया कि वे किसी से कहने नहीं जा रहे हैं कि आकर उनकी फ़िल्म देखे, जिसे देखना है वह सिनेमाघरों में जाए, जिसे नहीं देखना है मत जाइए। करीना, आलिया, अर्जुन के बाद अब विजय के शब्दों ने सोशल मीडिया पर कमेंट्स चालू करवा दिए हैं। जो कि अच्छे कमेंट्स में नहीं गिने जा सकते, बता दें कि उन्होंने अपनी फ़िल्म के लिए ऐसा भी कहा कि कौन रोकेगा देख लेंगे, यहां डर की कोई जगह नहीं है और कहा की उन्हें पता था कि लाइगर के साथ भी ड्रामे हो सकते हैं, इसलिए वे अभी लड़ेंगे और वे बोले की बहुत मेहनत से उन्होंने इस फ़िल्म को बनया है और वे सही है।
जैसा कि विजय के स्ट्रगलिंग दिनों की बात सभी जानते है तो उन्होंने स्वयं भी कहा जब मेरे पास कुछ नहीं था, तब में नहीं डरा तो अब हासिल करने के बाद क्या डरूंगा मेरे पास मां का आशीर्वाद है, लोगों का प्यार है, भगवान का हाथ है, अंदर बहुत आग है तो कौन रोकेगा मुझे अब, ज़िन्दगी ने मुझे पैसा, सम्मान इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने तक लड़ाई करना भरपूर मात्रा में सिखा दिया है। हाल ही में देवरकोंडा कॉफी विथ करण में आए थे जहां उन्होंने कहा कि पता नहीं बॉयकॉट ट्रेंड को इतना महत्त्व क्यों दिया जा रहा है ये लोग हमारा कुछ नहीं उखाड़ सकते, जिसे देखनी है देखो, नहीं देखनी मत देखो। ऐसे बार-बार जनता को इग्नोर करना सही बात नहीं है। ये उनका ओवरकॉन्फिडेंस दिखती है वे अच्छे से भी बातों को कह सकते हैं।
पर पता नहीं वह क्यों इन शब्दों को प्रयोग कर रहे हैं। बॉयकॉट के पीछे की एक वज़ह और है वह है नेपोटिस्म है जो कि लोगों का मानना है कि अच्छे अभिनेताओं से उनकी जगह छीन लेती है। सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद लोग इस चीज़ को लेकर बहुत अवेयर हो चुके हैं और अब अपना गुस्सा बॉयकॉट ट्रेंड के ज़रिए निकाल रहे हैं। हालंकि फ़िल्म अब सिनेनाघरो में आ चुकी है। इसकी प्रस्तुति को देखा जा रहा है। सफलता या विफलता बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बाद ही पता चलेगी।