यदि आप चैस के खिलाड़ी हैं या चैस से जुड़ी खबरों में दिलचस्पी रखते हैं तो आपने खिलाड़ी मैगनस कार्लसन का नाम तो अवश्य ही सुना होगा। बता दें, की कई साल पहले चैस से सम्बंधित एक ख़बर काफ़ी वायरल हुई थी, क्योंकि उसमें दुनिया के नंबर 1 चैस खिलाड़ी गेरी क्रास प्रोव का नाम था। ख़बर कुछ ऐसी थी कि उनका मुकाबला एक 13 साल के बच्चे से हुआ था जिसमें वह बच्चा बहुत आसानी से खेल रहा था और वहीं गैरी को बहुत सोच समझकर चाल चलनी पड़ रही थी। खेल में विजेता वह बच्चा हुआ था, जो बाद में रुका नहीं और 22 साल की उम्र में उसने भारत के चैस चैंपियन विश्वनाथ आनंद को हरा दिया था।
आज उनको हम सभी मैगनस कार्लसन के नाम से जानते हैं। पर कहीं न कहीं इतिहास लौट कर आता ही है, तो अब मार्क के जीवन में ही कुछ ऐसा हुआ जब उन्हें भी भारत के 13 साल के प्रगाननंदा ने हरा दिया और अपना नाम एक नए इतिहास में दर्जित करवा लिया है। अब इनकी बात करें तो इनके पूरा नाम रमेशबाबू प्रगाननंदा है जिनका जन्म चेन्नई में 10 अगस्त 2005 को हुआ था। इनकी माता का नाम नागललक्ष्मी और पिता का नाम रमेशबाबू है। प्रगाननंदा की एक बड़ी बहन भी है जिसका नाम वैशाली है जो उनके चैस सीखने के पीछे का बहुत बड़ा कारण रही है।
क्योंकि वे अपनी बहन को देखते-देखते ही चैस सीखे है, दरसल इनके माता पिता ने वैशाली को टीवी से दूर रखने के लिए चैस सिखाया था जिसका परिणाम ये निकला की उनका छोटा भाई प्रगाननंदा 3 वर्ष की आयु में ही चैस में रूची लेने लगा। जिसके बाद दोनों की दिलचस्पी खेल में और बड़ गई कि दोनों बच्चों ने उसमें करियर बनाने की ठान ली। जिसमें खिलाड़ी ने ख़ुद स्वीकारा है कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है, इस खेल के शुरू होने के दस दिन पहले से वे रात को 3 बजे तक ये खेल का अभ्यास कर रहे थे। क्योंकि उनका मुकाबला चैस के चैंपियन से होने वाला था। जिसके लिए वह बेहद उत्साहित थे और जीतने के बाद वे कहते है कि यह जीत उनकी अब तक की सबसे ख़ास जीत है जो उन्हें जो उन्हें और आगे बड़ने का हौसला देती हैं।
उन्होंने मशहूर कार्लसन को सिर्फ़ 39 चालों में हार का सामना करवा दिया था, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि में गिना जाएगा। पहले से 3 बाजियां जीते जाने वाले कार्ल के आगे उन्होंने हार की स्थिति बना दी। 2018 में भी प्रगाननंदा ने चैस में ग्रैंड मास्टर की उपाधि हासिल की थी, जिससे इन्हें भारत का पहले और विश्व का दूसरे नंबर का खिलाड़ी घोषित कर दिया गया था।
भारत आज बेहद खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा है। और एक बहुत बड़े उज्ज्वल भविष्य को प्रगाननंदा में देख रहा है।