Monday, December 23, 2024
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क्या एक डीपी आपकी देशभक्ति को दर्शाती है, या सच्ची भावनाओं का महत्त्व ज़्यादा है

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क्या एक डीपी आपकी देशभक्ति को दर्शाती है, या सच्ची भावनाओं का महत्त्व ज़्यादा है 1

आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर साल भर से देश में खुशियां मनाई जा रही है। पूरा देश इस बात का गर्व महसूस कर रहा है, की आज़ादी की इतनी लंबी लड़ाई के बाद आज हम सभी आज़ादी के साथ-साथ बहुत आगे बड़ चुके हैं। वहीं इस महोत्सव को प्रधानमंत्री द्वारा निर्देशन भी दिया गया। जहां उन्होंने भाजपा को नेतृत्व करते हुए हर घर तिरंगा अभियान चलाया और अपने स्तर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डीपी भारत के तिरंगे में बदलकर देशभक्ति दर्शाने का लाभ उठाया। ऐसा ही उत्साह और उमांग भारतीय सिनेमा के स्टार्स, स्पोर्ट्स से जुड़े खिलाड़ी और अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के बीच भी देखा गया।

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सभी ने अपने जश्न को सोशल मीडिया के माध्यम से दिखाया और अंदर से आनंद उठाया। देश में कुछ भी हो उसपे सबसे पहले प्रक्रिया बॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं की देखी जाती है तो इसमें भी कुछ ऐसा ही हुआ जब बॉलीवुड के कुछ अभिनेताओं ने अपनी डीपी को नहीं बदला। दरअसल बॉलीवुड कुछ महीनों से बहुत नेगेटिव कैंपेन से गुज़र रहा है, जिसके चलते सभी बड़े अभिनेताओं की गतिविधियों के खिलाफ आवाज़ उठाई जा रही है। स्वतंत्रता दिवस बीत जाने के बाद भी ऋतिक रोशन, शाहरुख खान, सैफ अली खान और फरहान अख़्तर को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रॉल किया जा रहा है। उनकी डीपी के कुछ भद्दे कोलाज इंटरनेट पर जबरजस्त वायरल हो रहे हैं, जिसमें उनकी तुलना साउथ के अभिनेता महेश बाबू, अनुष्का शेट्टी, प्रभास और यश के साथ की जा रही है।

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डीपी न बदलने वाली मामूली चीज़ को भी बहुत गहरे मकसद के साथ दिखाने की कोशिश की जा रही है और ये कहा जा रहा है कि कैसे इन अभिनेताओं के लिए देश मायने नहीं लगता, पर अब इधर एक बात है जिसपर लोगों का ध्यान गया और वह बात ये है कि साउथ के दो बड़े अभिनेता राम चरन और जूनियर एनटीआर ने भी डीपी को नहीं बदला है और अलग अंदाज़ में महोत्सव को मनाया है। अब सवाल ये उठता है जो लोग बॉलीवुड अभिनेताओं की तुलना साउथ आभनेताओं से कर रहे हैं वे अब क्या कहेंगे? क्योंकि अगर शाहरुख खान को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है तो बाक़ी लोगों क्यों नहीं किया जायेगा? बात बस ये है कि ये सब बेतुकी चीज़ें हैं जिनपर बिना वज़ह की चर्चा की जाती हैं। डीपी बदल लेने से और नहीं बदलने से किसी की देशभक्ति या देशप्रेम साबित नहीं होता।

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असली चीज़ लोगों के दिलों में होती है, जिसे शायद कभी बयां भी न किया जा सके बॉर्डर पर खड़ा सिपाही की भावनाओं उसके बलिदान में छिपी होती हैं कल को अगर उन पर ये बात लागू होने लगी तो ये कथन बहुत ग़लत साबित होगा। अगर लोगों को बॉलीवुड की कहानी से परेशानी हैं तो उनको उस पर बोलना चाहिए, वहां के कल्चर पर बोलना चाहिए न की इन बातों से निजी हमला बोलना चाहिए बता दें शाहरुख खान ने भले ही अपनी डीपी न बदली हो पर परिवार के साथ मिलकर उन्होंने भी तिरंगा फहराया था, जो तरीक़ा उन्होंने अपनाया ऐसे अलग-अलग तरीकों से अपनी भावनाएं प्रगटाने सबका अपना निजी चुनाव है।

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