Thursday, November 14, 2024
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कॉमनवेल्थ 2022 का स्वर्णपदक कराया नीतू ने अपने नाम, जानिए उनका सफर

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कॉमनवेल्थ 2022 का स्वर्णपदक कराया नीतू ने अपने नाम, जानिए उनका सफर 1

नीतू घणघस ये नाम आज पूरे विश्व में गूंज रहा है। जिन्होंने 2022 के कॉमनवेल्थ का स्वर्णपदक अपने नाम करा लिया है। पर ये सफलता उनके लिए आसान नहीं रही है। इस एक दिन की चमक के पीछे उनकी सालों की मेहनत लगी है। जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि उनकी इस सफलता की मेहनत के पीछे है उनका पूरा परिवार जिन्होंने भी नीतू के लिए कई निस्वार्थ बलिदान दिए है। खबरों की मानें तो उनके पिता जय भगवान जो कि हरियाणा सचिवालय के कर्मचारी है वे नीतू को 2 बार की वर्ल्ड यूथ चैंपियन की ट्रेनिंग देने के लिए पिछले 2 साल से अवैतनिक अवकाश पर है जिस बात से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी बेटी को बॉक्सर बनाने के लिए कितना बड़ा त्याग किया है।

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बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय बॉक्सर नीतू घणघस ने गोल्ड मेडल जीत लिया है। जहां उन्होंने फाइनल मैच में इंग्लैंड की डेम जेड रेस्टेन को हरा दिया। पिछली बार उन्होंने 2019 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रोज मेडलिस्ट बॉक्सर रेस्टन को हराया था। ये जीत उनकी पहली नहीं है पर कॉमनवेल्थ जीतना उनकी सबसे बड़ी है। ये मैच महिला वर्ग के 45 से 48 वेट कैटेगरी के बीच का था। आज नीतू को पूरा देश बधाइयां दे रहा है, सभी लोग उनके लिए बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे है। वे आज सभी के लिए इंस्पिरेशन बन चुकी है, देश के कोने-कोने से लोग उनका नाम ले रहे है। सभी उनकी इस सफलता से बहुत खुश है। आज पूरा देश उनका परिवार बन चुका है। आइए जानते है कि इस सफलता पर नीतू क्या कहती है।

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जब नीतू से उनके सफल होने के अहसास के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा अहसास तब था जब उन्होंने तिरंगे को ऊपर जाते हुए देखा, ये उनकी बहुत पुरानी ख्वाइश थी जो आज हक़ीक़त में बदल गई, वे कहती हैं कि वे उनको दी गई सभी दुआओं और आशीर्वाद की आभारी है साथ ही उन्होंने अपनी जीत को अपने तक सीमित न रखते हुए कहा कि ये मेडल सारे देशवासी और उनके पिता को समर्पित है। फिर अपना प्यार, आदर और सम्मान जताते हुए उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने मेरे लिए कोई कसर नहीं छोड़ी उनके हालात आसान नहीं थे पर उनके पिता ने उनको हमेशा बेस्ट ही दिया उसके बाद वह कहती है कि अगर उनके पिता न होते तो वह ये मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाती।

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हर किसी का एक न दिखने वाला स्ट्रगल होता है नीतू का भी था वे भिवनी में रहती थी 2012 में कोच जगदीश के पास उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की थी बाद में भास्कर भट्ट से ट्रेनिंग लेने के बाद वे 2016 में भारतीय खेल प्राधिकरण की राष्ट्रीय बॉक्सिंग एकेडमी का हिस्सा बनी। उसी दौरान वह कूल्हे की चोट से गुज़र रही थी पर उन्होंने उसका सामना कर बॉक्सिंग एकेडमी से कमाल कर दिखाया जो सभी के सामने आज उन्हें सफल दिखा रहा है।

2017 में गुवहाटी में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद 2018 में भी वे पीछे नहीं रही एशियन चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम करवाया था। 2022 का उनका जादू तो आज पूरा विश्व देख ही रहा है।

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